इसरो ने 2024 की शुरुआत नये मिशन एक्सपोसैट के साथ की - एक्स - रे की करेगा पड़ताल

भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) के लिए साल 2023 बहुत सफल वर्ष रहा, चंद्रयान-3 को 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतारा गया और फिर उसके अगले महीनों में इसरो (ISRO) ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य-L-1 को भेजा और अब नये साल 2024 के पहले ही दिन एक्सपोसैट नाम के सेटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉंच कर दिया है ।

चलिए हम आपको बताते हैं की ये एक्सपोसैट मिशन (XPoSat Mission ) क्या है और ये कैसे काम करेगा।

 

एक्सपोसैट (XPoSat) क्या है ?

इसका पूरा नाम एक्सपोसैट एक्स-रे पोलेरिमीटर ( X-ray Polarimeter Satellite) सैटेलाइट है जिसको इसरो ने पीएसएलवी (PSLV) रॉकेट की मदद से ६५० किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करेगा। ये सॅटॅलाइट एक बार पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित होने के बाद लगभग पाँच साल तक काम करेगा। 

इस सॅटॅलाइट को आब्जर्वेटरी की तरह डिज़ाइन किया गया, ये अपने तरह का दुनिया का दूसरा सॅटॅलाइट है जो की आब्जर्वेटरी की तरह काम करेगा । इसरो से पहले अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) और इटली की अंतरिक्ष एजेंसी इटालियन स्पेस एजेंसी (Italian Space Agency) ने मिल कर साल 2021 में आईएक्सपीई (IXPE) सैटेलाइट को लॉंच किया था ।

किसका अध्ययन करेगा एक्सपोसैट (XPoSat)?

ये सॅटॅलाइट एक्स-रे (X-RAY) का अध्ययन करेगा और जिससे वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के बारे में और बेहतर जानकारियाँ जुटाने में मदद मिलेगी। सामान्य ऑप्टिकल टेलीस्कोप (Optical Telescope) से हम किसी भी खगोलीय चीज़ की जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं की वो कैसी दिखती है लेकिन हम ये नहीं पता कर सकते की वो कैसे बना और इसका व्यवहार कैसा है । 

आप सबने देखा होगा की जब रोशनी पोलराइज्ड सन ग्लास से होकर गुजरती है तो ये सूर्य की रोशनी से अलग दिखती है, ऐसा इसीलिए क्योंकि प्रकाश की तरंगें एक रस्सी की तरह काम करती हैं वो जिस दिशा में सफ़र करती हैं उधर चारों ओर घूमती हैं। लेकिन जब ये प्रकाश की तरंगें एक ख़ास तरह के फ़िल्टर से गुज़ारे जाते हैं या वायुमंडल में मौजूद गैसों की तरफ़ बिखराई (छितराई) जाती हैं तो ये पोलराइज्ड हो जाती हैं और ये एक पंक्ति में आ जाती हैं। 

एक्स - रे (X-RAY) का भी व्यवहार कुछ इसी होता है और ये उसी दिशा की ओर घूमते हैं जिस दिशा में पोलरिज़ेशन होता है। 

पोलरिमीटर इस दिशा को पहचानने में मदद करने का काम करता है इससे जो चीज़ ब्रह्मांड में एक्स - रे (X - RAY) उत्सर्जित करने वाली होती हैं उनकी अवस्था और स्तिति के बारे में काफ़ी अहम जानकारी इकट्ठा करने में मदद करता है  

 

किन वैज्ञानिक उपकरणों से लैस है एक्सपोसैट (XPoSat)?

 

इस सैटेलाइट में दो तरह के वैज्ञानिक उपकरण लगे हुए हैं जो की अपने हिसाब से डेटा को एकत्रित करके इसरो की प्रयोगशाला में भेजेंगे - 

 

पोलिक्स -  इसको रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट (Raman Research Institute) ने विकसित किया  है जो की एक्सपोसैट सॅटॅलाइट का प्राथमिक पेलोड है, इसे यूआर राव सेंटर के सहयोग बनाया गया है । इसका काम खगोलीय स्रोतो से निकालने वाले पोलरिज़ेशन की डिग्री और कोण को माप कार उसकी जानकारी इसरो को मुहैया करेगा ।

 

एक्सएसपैक्ट -  इस पेलोड का काम स्पेक्ट्रोस्कोपिक जानकारी को इकट्ठा करना होगा, इसरो के मुताबिक़ ये पेलोड एक्सएसपैक्ट को एक साथ एक्स-रे के अस्थायी, वर्णक्रमीय और ध्रुवीकरण विशेषताओं के अध्ययन में सक्षम बनाते हैं ।

 

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Last Updated

March 9th, 2024 09:48 PM

Category

space-astronomy

Author

Taiyari Team

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