Class 12th रसायन विज्ञान अध्याय 1 - ठोस अवस्था

कक्षा 12 रसायन विज्ञान अध्याय 1 - ठोस अवस्था (Solid State)-

इस अध्याय में हम पदार्थ की ठोस अवस्था के बारे में विस्तार से जानेंगे। पदार्थ का निर्माण अवयवी कणों (अणु, परमाणु, और आयन ) के द्वारा होता है। 

वह अवयवी कण जिससे पदार्थ का निर्माण होता है, उन कणों की गतिशीलता के आधार पर पदार्थ की 3 भौतिक अवस्था होती है- ठोस, द्रव और गैस। 

इन कणों की स्थिरता (निम्नतम गतिशीलता) में किसी पदार्थ की वह भौतिक अवस्था, ठोस अवस्था कहलाती है। 

इस आर्टिकल में हमने पदार्थ की ठोस अवस्था के बारे में विस्तार से वर्णन किया है और साथ ही इस बात पर पूरा ध्यान दिया गया है कि इस अध्याय से जुड़े सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को सरल शब्दों में एक्सप्लेन किया गया हो, जिससे कक्षा 12वीं के स्टूडेंट्स और प्रतियोगी परीक्षा में सम्मिलित होने वाले स्टूडेंट्स आसानी से पढ़कर अपने लक्ष्य को हासिल कर सके। 

 

तो चलिए सबसे पहले हम जानते हैं कि इस चैप्टर की महत्वपूर्ण हेडलाइंस जो निम्नानुसार हैं-

  1. पदार्थ और उसकी अवस्था 
  2. क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय ठोस 
  3. कणों के मध्य बंधन बलों के आधार पर ठोसों का वर्गीकरण 
  4. द्विविमीय और त्रिविमीय जालकों में एकक सेल 
  5. ठोसों में संकुलन और संकुलन दक्षता 
  6. रिक्तियाँ 
  7. ठोसों में अपूर्णता (दोष)
  8. ठोसों में विद्युतीय और चुम्बकीय गुण 

पदार्थ, और उसकी अवस्था (Matter and it's State)

पदार्थ क्या है? अणु, परमाणु और आयन, इन सभी छोटे-छोटे कणों से मिलकर पदार्थ बनता है।अतः अणु, परमाणु और आयन को पदार्थ का अवयवी कण कहाँ जाता है।

पदार्थ का वह विशेष स्थिति जो वह ग्रहण कर लेता है या प्राप्त कर लेता है, पदार्थ की अवस्था कहलाती है 

चूँकि ये अवयवी कण गतिमान होते हैं इसीलिए इनकी इस धरणा को गतिज धारणा कहते है। इन अवयवी कणों की गतिशीलता के आधार पर इन्हे 3 भौतिक अवस्थाओं में बाँटा गया है-

  • ठोस (Solid)
  • द्रव (Liquid)
  • गैस (Gas)

ठोस :- अवयवी कणों की निम्नतम गति अर्थात् कणों की स्थिरता में पदार्थ की भौतिक अवस्था, ठोस अवस्था कहलाती है।

गैस :- अवयवी कणों की सर्वाधिक गति में पदार्थ की भौतिक अवस्था, गैस अवस्था कहलाती है।

द्रव :- अवयवी कणों की गति जब ठोस और द्रव के अवयवी कणों के मध्य होती है तो पदार्थ की वह भौतिक अवस्था, द्रव अवस्था कहलाती है।

 

क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय ठोस 

 अवयवी कण जिनसे ठोस पदार्थ का निर्माण होता है उनकी व्यवस्था के आधार पर ठोसों को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है-

क्रिस्टलीय ठोस (Crystalline Solid) -  यदि अवयवी कण (आयन, परमाणु, या अणु) यदि एक नियमित और क्रमिक रूप में व्यवस्थित हों तो प्राप्त ठोस को क्रिस्टलीय ठोस कहते हैं। उदहारण :- हीरा, आयोडीन आदि। 

क्रिस्टलीय ठोस निम्न लक्षण दर्शाते हैं -

  1. इनके अवयवी कण एक नियमित क्रम में व्यवस्थित होतें हैं। 
  2. ये ठोस तीक्ष्ण (Sharp) होते हैं और इनका गलनांक निश्चित होता है। 
  3. ये विषमदैशिक (Anisotropic) होते हैं।
  4. क्रिस्टल के निर्माण में इनका बहरी सतह भी एक नियमित क्रम दर्शाते हैं।  

अक्रिस्टलीय ठोस (Non-Crystalline Solid) -  यदि अवयवी कण (आयन, परमाणु, या अणु) यदि एक नियमित और क्रमिक रूप में व्यवस्थित नहीं हों तो प्राप्त ठोस को क्रिस्टलीय ठोस कहते हैं।उदहारण :- काँच,रबर आदि।

अक्रिस्टलीय ठोस निम्न लक्षण दर्शाते हैं -

  1. इनके अवयवी कण एक नियमित क्रम में व्यवस्थित नहीं होतें हैं। 
  2. ये ठोस तीक्ष्ण (Sharp) नहीं होते हैं और इनका गलनांक भी निश्चित नही होता है। 
  3. ये समदैशिक (Isotropic) होते हैं।
  4. क्रिस्टल के निर्माण में इनका बहरी सतह भी एक अनियमितता दर्शाते हैं।  

विभिन्न बंधन बलों के आधार पर ठोसों का वर्गीकरण- 

जब ठोसों का निर्माण होता है तो इनके अवयवी (रचक कण) कण एक निश्चित बल से बन्धे होते हैं, अतः हम कह सकते हैं कि ठोसों के कणों के बीच लगने वाला बल बंधन बल कहलाता है और इस बन्धन बल के आधार पर ठोसों के विभिन्न प्रकार होते हैं -

  1. आयनिक ठोस 
  2. आण्विक ठोस 
  3. सहसंयोजी ठोस 
  4. धात्विक ठोस 

 

सभी प्रकार के ठोसों में अंतर एक सारणी में -

ठोस के प्रकार रचक कण बंधन बल भौतिक गुण उदहारण 
आयनिक ठोस आयन (धनात्मक और ऋणात्मक)स्थिर वैद्युत बल/कुलाम आकर्षण बल विलयन में सुचालक, कठोर, उच्च गलनांक, उच्च गलन ऊष्मा,NaCl, AgCl 
आण्विक ठोस अणु दुर्बल वाण्डर वाल्स आकर्षण बल/ कुछ अणुओं में हाइड्रोजन बल कठोर, मध्यम उच्च गलनांक,उच्च गलन ऊष्मा, ऊष्मा और विद्युत् के कुचालक हीरा, ग्रेफाइड 
सहसंयोजी ठोस परमाणु सह-संयोजी बल मुलायम, निम्न गलनांक, निम्न गलन ऊष्मा, ऊष्मा और विद्युत् के कुचालक बर्फ,आयोडीन 
धात्विक ठोस धातु परमाणु धात्विक आबल मुलायम और कठोर, ऊष्मा और विद्युत् के सुचालक धात्विक चमक धातुएँ 


द्विविमीय एवं त्रिविमीय जालकों में एकक सेल 

ठोसों के जो अवयवी कणों (रचक इकाई) को बिंदु द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, इन बिंदुओं को जालक बिंदु कहते हैं। इन जालक बिंदुओं की त्रिविमीय व्यवस्था एक निश्चित ज्यामितीय प्रदर्शित करती है, इस ज्यामिति को त्रिविम जालक (Space lattice) या क्रिस्टल जालक (Crystal lattice) कहते हैं।

 

इकाई कोशिका या एकक सेल :  प्रत्येक क्रिस्टल जालक में कुछ जालक बिंदुओं के समूह द्वारा पुनरावृत्ति का दर्शना। इन जालक बिंदुओं के समूह को सेल कहते हैं। अतः क्रिस्टल में रचक अवयवों के क्रमबद्ध रूप में व्यवस्थित होने के परिणामस्वरूप प्राप्त सूक्ष्मतम इकाई एकक सेल (Unit Cell) कहलाती है। 

एकक सेल दो प्रकार के होते हैं-

  1. द्विविमीय एकक सेल (Two-Dimensional Unit Cell)
  2. त्रिविमीय एकक सेल (Three-Dimensional Unit Cell) 

 

1.द्विविमीय एकक सेल (Two-Dimensional Unit Cell) 

क्रिस्टल के किसी भी तल में जालक बिंदुओं की नियमित व्यवस्था द्विविमीय जालक कहलाती है। इस जालक का वह सूक्ष्मतम भाग जो पुनरावृत्ति से जालक प्राप्त होता है, द्विविमीय एकक सेल कहलाता है। 

जालक एकक सेल 
वर्गाकार (Square)वर्गाकार 
चौकोर (Parallelogram)चौकर 
आयताकार (Rectangular)आयताकार 
षट्भुजीय (Hexagonal)60० वाला विषमकोणीय सम-चतुर्भुजीय 
समचतुर्भुजीय (Rhombic)एक भीतरी बिंदु युक्त आयत 

 

2. त्रिविमीय एकक सेल (Three-Dimensional Unit Cell) 

त्रिविमीय जालक की ज्यामिति दर्शाने वाला जालक बिंदुओं का सूक्ष्मतम समूह त्रिविमीय एकक सेल कहलाता है। 

इनके आपेक्षीय अक्षीय दूरियों व अंतरफलकीय कोणों के आधार पर क्रिस्टल 7 प्रकार के होते हैं लेकिन मूल रूप से ये 2 प्रकार के होते हैं-

  1. प्राथमिक एकक सेल (Primitive unit cell)
  2. केंद्रीय एकक सेल (Centred unit cell)

 

 

 

 

 

 

 

यह लेख अपडेट किया जा रहा है।

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Last Updated

May 4th, 2024 02:37 PM

Category

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Author

Ratnesh Dwivedi

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