प्राचीन भारतीय इतिहास - प्रागैतिहासिक काल
इस लेख से हम शुरुआत कर रहे हैं भारत के प्राचीन इतिहास के बारे में। सबसे पहले हम भारत के प्राचीन इतिहास और उसके अलग अलग प्रकार के स्रोतो के बारे में बात करेंगे।
भारत का इतिहास -
भारत - उत्तर में हिमालय पर्वत से लेकर दक्षिण में हिन्द महासागर तक फैला हुआ उपमहाद्वीप है - जिसे हम भारतवर्ष के नाम से जानते हैं। महाकाव्य तथा पुराणों में ‘भारतवर्ष’ अर्थात् ‘भरतों का देश’ तथा यहाँ के निवासियों को ‘भारती’ अर्थात् भरत की संतान कहा गया है। भारत एक प्राचीन कबीले का नाम था। प्राचीन भारतीय अपने देश को जंबूद्वीप, अर्थात् जामुन वृक्षों का देश कहते थे।
प्राचीन ईरानी इसे सिंधु नदी के नाम से जोड़ते थे, जिसे वो सिंधु ना कहकर ‘हिंदू’ कहा करते थे और फिर यही नाम पूरे पश्चिम में फैल गया और पूरे देश को सिंधु नदी के नाम पर हिंदू देश के नाम से जाना जाने लगा, हिंदू शब्द फ़ारसी भाषा का शब्द है। यूनानी भारत को ‘इन्दे’ कहा करते थे इसी के आधार पर अंग्रेज ‘इंडिया’ कहने लगे और अरब ‘हिन्द’ कहते थे। बाद में मध्यकाल आते आते इसे हिंदुस्तान के नाम से जाना जाने लगा।
इतिहास - बीती हुई बातों या घटनाओं का वृतांत होता है। अभी जो वर्तमान है वो कुछ ही क्षण में अतीत है और इतिहास अतीत में किए गये मानव-प्रयास की आनुक्रमिक कथा है। इतिहास के आवश्यक अंग हैं - अतीत, सभ्य युग, मानव-प्रयास और घटनाओं का आनुक्रमिक प्रसार। इतिहास बीती हुई घटनाओं का चिंतन करता है और हमारी और हमारे समाज की दशा और दिशा दोनों का ही निर्धारण करता है और इसके आधार पर भविष्य को सुरक्षित बनाने का प्रयास करता है।
प्राचीन भारतवर्ष का इतिहास मानव सभ्यता के उस दौर का इतिहास है, जब वह अपने निर्माण के अवस्था में था। भारत के इतिहास निर्माण में विशाल पर्वतमालाओ और यहाँ की प्राचीन नदियों का विशेष योगदान रहा है।
इतिहासकारों ने इतिहास को कई भागो में बाँटा है और प्राचीन भारत उसी का एक भाग है। अतीत की घटनाओं का अध्ययन हम ऐतिहासिक सामग्री/स्रोतो के आधार पर करते हैं और ये महत्वपूर्ण तथ्य कई रूपों में सुरक्षित हैं, जिन्हें हम इतिहास के स्रोत कहते हैं।
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत -
इतिहास की जानकारी के लिए उस काल में लिखे गये ग्रंथ, रचनायें या फिर कहीं मिला कोई पुरातात्विक अवशेष जैसे की मनुष्य द्वारा बनाया गया कोई औज़ार, भव्य इमारतें, शिलाएँ इत्यादि। प्राचीन भारत के इतिहास को जानने के लिए हमारे पास विभिन्न प्रकार के स्रोत हैं, लेकिन इन्हें मुख्यतः 4 भागो में बाँटा गया है।
- धर्मग्रन्थ
- ऐतिहासिक ग्रंथ
- पुरातत्व संबंधी साक्ष्य
- विदेशियों के द्वारा वर्णन
यह लेख अपडेट किया जा रहा है।
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Last Updated
January 28th, 2024 09:39 PM
Category
ancient-indian-history
Author
Taiyari Team