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फ्री राशन और पैसा मिलना: देश और समाज के विकास के लिए बाधा या सहूलियत?

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ‘फ्रीबी कल्चर’ यानी मुफ्त राशन और सरकारी आर्थिक सहायता पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि "फ्री राशन और पैसा मिल रहा है, इसलिए लोग काम नहीं करना चाहते।" यह बयान न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों पर भी एक गहरी बहस को जन्म देता है।

इस लेख में हम फ्रीबी कल्चर के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि यह समाज और देश के विकास के लिए कितना सही या गलत है।


1. फ्रीबी कल्चर: परिभाषा और उद्देश्य

फ्रीबी कल्चर का अर्थ उन सरकारी योजनाओं और नीतियों से है, जिनके तहत लोगों को मुफ्त राशन, नकद सहायता, मुफ्त बिजली, पानी, गैस कनेक्शन, स्मार्टफोन, लैपटॉप, स्कूटी आदि दी जाती हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य गरीब और कमजोर वर्ग की सहायता करना होता है ताकि वे अपने जीवनयापन को बेहतर बना सकें।

लेकिन जब ये सुविधाएँ लंबे समय तक दी जाती हैं और इन्हें हक़ के रूप में लिया जाने लगता है, तब यह एक गंभीर समस्या बन जाती है। मुफ्त में चीज़ें मिलने से लोग मेहनत करने के बजाय सरकारी सहायता पर निर्भर हो जाते हैं।


2. फ्रीबी कल्चर: विकास में बाधा कैसे?

(i) श्रम संस्कृति का नाश

जब सरकार जरूरतमंदों को लगातार मुफ्त सुविधाएँ देती रहती है, तो समाज में श्रम और परिश्रम की संस्कृति धीरे-धीरे खत्म होने लगती है। लोगों को लगता है कि जब बिना मेहनत किए ही सरकार उनकी मदद कर रही है, तो काम करने की जरूरत ही क्या है?

परिणाम:

  • युवा वर्ग रोजगार के अवसरों को गंभीरता से नहीं लेता।
  • लोग मेहनत और खुद के प्रयासों से आगे बढ़ने के बजाय सरकारी सहारे पर निर्भर हो जाते हैं।
  • कार्यबल में उत्पादकता की कमी आ जाती है।

(ii) सरकार पर आर्थिक बोझ

सरकार द्वारा चलाई जाने वाली मुफ्त योजनाओं का पैसा करदाताओं से आता है। जब सरकारें बार-बार लोकलुभावन घोषणाएँ करती हैं और मुफ्त सुविधाएँ बांटती हैं, तो इसका सीधा असर सरकारी खजाने पर पड़ता है।

नकारात्मक प्रभाव:

  • सरकारी घाटा बढ़ता है।
  • बुनियादी ढांचे जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन में निवेश कम हो जाता है।
  • करदाताओं पर करों का बोझ बढ़ता है।

(iii) गरीबों की मानसिकता पर असर

फ्रीबी कल्चर का सबसे खतरनाक असर यह होता है कि गरीबों की मानसिकता बदल जाती है। वे सरकारी सहायता को अपना अधिकार मानने लगते हैं और इससे बाहर निकलने का प्रयास ही नहीं करते।

परिणाम:

  • नई पीढ़ी के युवाओं में आत्मनिर्भरता की भावना खत्म हो जाती है।
  • गरीब तबका गरीबी से बाहर निकलने के बजाय उसी स्थिति में बना रहता है।
  • सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग होने लगता है।

3. फ्रीबी कल्चर के समर्थकों के तर्क

फ्रीबी कल्चर के समर्थकों का मानना है कि सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह गरीबों की मदद करे। जब समाज में असमानता इतनी अधिक है, तो सरकार को वंचित वर्ग के लोगों को बुनियादी सुविधाएं देनी ही चाहिए।

(i) असमानता कम करने का प्रयास

भारत में गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी की समस्याएँ काफी गंभीर हैं। फ्री राशन, नकद सहायता और अन्य सरकारी योजनाएँ कमजोर वर्ग को कुछ राहत देने का काम करती हैं।

(ii) अल्पकालिक समाधान

कुछ लोग मानते हैं कि यह योजनाएँ स्थायी नहीं होनी चाहिए, बल्कि अस्थायी रूप में लागू की जानी चाहिए ताकि समाज के सबसे कमजोर वर्ग को थोड़ा संभलने का मौका मिले।

(iii) राजनीतिक फायदा

राजनीतिक दल फ्रीबी योजनाओं का इस्तेमाल चुनावी लाभ के लिए करते हैं। वे जनता को लुभाने के लिए मुफ्त योजनाएँ घोषित करते हैं, जिससे उनका वोट बैंक मजबूत होता है।


4. समाधान: फ्रीबी कल्चर की जगह रोजगार और आत्मनिर्भरता

(i) कौशल विकास और शिक्षा पर जोर

सरकार को मुफ्त देने के बजाय लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल विकास और शिक्षा पर निवेश करना चाहिए। यदि लोग अच्छे से प्रशिक्षित होंगे, तो वे खुद ही रोजगार पा सकेंगे और सरकार पर निर्भर नहीं रहेंगे।

(ii) माइक्रोफाइनेंस और लघु उद्योगों को बढ़ावा

गरीब तबके को मुफ्त पैसे देने के बजाय माइक्रोफाइनेंस लोन और स्वरोजगार की योजनाएँ दी जानी चाहिए ताकि वे खुद का व्यवसाय शुरू कर सकें और आत्मनिर्भर बन सकें।

(iii) पेंशन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को सुदृढ़ करना

फ्री राशन और मुफ्त पैसे देने के बजाय सरकार को उन योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए, जो लोगों को दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करें, जैसे कि वृद्धावस्था पेंशन, स्वास्थ्य बीमा और बेरोजगारी भत्ता।


निष्कर्ष: दीर्घकालिक विकास के लिए फ्रीबी कल्चर से बाहर निकलना जरूरी

फ्रीबी कल्चर अल्पकालिक राहत तो दे सकता है, लेकिन यह समाज और देश के दीर्घकालिक विकास के लिए घातक साबित हो सकता है। यह श्रम संस्कृति को खत्म करता है, सरकार के आर्थिक संतुलन को बिगाड़ता है और गरीबों को आत्मनिर्भर बनने से रोकता है।

भारत को एक आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनाने के लिए सरकार को मुफ्त योजनाओं से अधिक रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देना चाहिए। शिक्षा, कौशल विकास और नवाचार पर जोर देकर ही देश को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकाला जा सकता है।

फ्री राशन और मुफ्त पैसे देने की जगह अगर सरकार रोजगार, उद्यमिता और शिक्षा में निवेश करे, तो भारत आर्थिक रूप से और भी मजबूत हो सकता है। लोगों को काम करने की आदत डालनी होगी, न कि मुफ्त की आदत। तभी देश और समाज का सही विकास संभव होगा।

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Last Updated

February 12th, 2025 02:14 PM

Category

योजनाएँ एवं अंतरिम बजट - 2025-26

Author

Taiyari Team

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